दिनेश चौधरी, लोहारा. प्रतिनिधी:- 5 फरवरी – आज भी राज्य में समाजस्तर पर अच्छी और बुरी परंपराओं का कार्य सामने दिखाई देता है। विवाह संबंधी रितीरिवाज पध्दती में दहेज को समाजस्तर पर मारक पध्दती कहा जाता है। वधू के पिता से वरपक्ष की कुछ मंडली शादी के मंडप में दहेज का लेनदेन किया करती है। यह दहेज रुपयों के स्वरुप में स्वीकार किया जाता है। वधु पक्ष की ओर सें दहेज के लिए कुछ मंडली अपने मतों पर अडे रहते है, इसलिए समाजस्तर पर अच्छे विचार एवंम् अच्छे सोचवाले व्यक्ति की विचार धारा जुड़ नही पाती।
दहेज पध्दती को ठोकर मारकर अपने अच्छे कर्मो को समाजपटलपर रखने वालों की संख्या अभी भी कम पायी जाती है। लोहारा स्थित समाजसेवक, खान्देश भुषण, समाज भुषण महाराष्ट्र पुरस्कारों से सन्मानित श्री अर्जुन रामचंद्र भोईजी के शिरलेली ता/जिल्हा जळगांव स्थित दामात अरुण भगवान भोई तथा उनकी बहन आशाबाई अरुण भोई इन्होने नगरदेवला तहसील पचोरा के कै .अशोक किसन भोई की तृतियकन्या का विवाह योग सामने आया। पिताजी का देहांत तथा छोटाभाई महाविद्यालयीन शिक्षा लेता हुआ और कुटुंब की आर्थिक परिस्थिती निचलेस्तर की यह सब देखकर शिरसोली के वरपिता अरुण भगवान भोई ने दहेज पध्दती को ठुकरा कर शिरसोली में सभी सोपस्कार करकें समाजपटल पर एक नया आदर्श दहेज प्रथा के खिलाफ निर्माण किया।
हमारे प्रतिनिधीसे बात करते हुए वरपिता अरुण भोईजीने कहा की, मेरी बेटी उसी समान दूसरों की भी बेटी है, इसलिए मैं दहेज प्रथा को त्याग कर समाज में अच्छी बातों को स्वीकार करता हूँ। दहेज प्रथा से वधुपक्ष के पिता पर क्या गुजरती है, यह भी हमने देखा है। अरुण भगवान भोईजी की बडी बेटी श्रीरामपूर में अपने ससुराल में स्थित है और भोईजी शिरसोली में चना, शरबतगोला बेचने का व्यवसाय किया करते है। इस सामाजिक अवसर पर अर्जुन भोई मुंबई ,अल्काताई घाटे ठाणे ,सुकलाल भोई ,तलाठीअप्पा लांबोले गुरुजी, रविंद्रभोई, महारु शिवदे ,रेणाबाई शिवदे, उत्तम सुर्यवंशी, मोहन शिवदे, दिनेश भोई ,संजयभोई , पारस भोई, गोविंदराव लांबोले, विजय भोई, राजाराम भोई आदी समाजसेवक उपस्थित थे। शिरसोली परिसर के बारी, पाटील ,कोली ,कुंभार, बडगुजर ,तेली ,माली ,जैन आदी स्थानिक समाज साथियों ने इस दहेज प्रथा के विरुद्ध कृती का स्वागत किया और दहेज प्रथा यह समाज को लगा हुआ कलंक है इस भावनाओं को उजागर किया।