मोदी के शपथ समारोह का नजारा.. राष्ट्रपति भवन को फूलों और रोशनी से नहलाया..!

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नई दिल्ली – 30 मई 2019…जब नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, ठीक उसी समय राष्ट्रपति भवन भी एक नए इतिहास का गवाह बन रहा था. ये नजारा वैसा ही था, जैसा जनवरी 2009 में वॉशिंगटन डीसी के कैपिटॉल का था. बराक ओबामा पहली बार राष्ट्रपति की शपथ ले रहे थे. उनके सामने लिंकन मेमोरियल तक मौजूद था 18 लाख लोगों का हुजूम. करीब 3 किमी तक लोग ही लोग नजर आ रहे थे. ठीक इसी तरह 30 मई 2019 को राष्ट्रपति भवन के फोर कोर्ट पर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, उनके सामने मौजूद थी करीब 8000 लोगों की भीड़. करीब 700 फीट चौड़े और आधा किमी लंबे फोर कोर्ट में देश-विदेश के प्रतिष्ठित लोग नए कैबिनेट को बनता हुआ देख रहे थे.

राष्ट्रपति भवन के सामने यह पहला ऐसा शपथ समारोह था, जिसमें इतनी ज्यादा संख्या में लोग मौजूद थे. इससे पहले ऐसा नजारा तब बना था जब 2014 में नरेंद्र मोदी ने 5000 लोगों के सामने शपथ ली थी. ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह और शहर में सुरक्षा के लिए करीब 16 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे, जबकि इस बार नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह और दिल्ली की सुरक्षा के लिए 10 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात थे.

राष्ट्रपति भवन को फूलों और रोशनी से नहलाया – ओबामा के शपथ समारोह में कैपिटॉल से लेकर नेशनल मॉल तक कोई सजावट नहीं थी. लेकिन राष्ट्रपति भवन के फोर कोर्ट को सजाया गया था. फोर कोर्ट के 12 खंभों के बीच बड़े-बड़े फूलों के गमले लगाए गए थे. 31 सीढ़ियों पर भी लाल कारपेट और फूलों के गमले लगाए गए थे. उसके बाद बनाया गया था स्टेज, जिसपर सांसदों ने शपथ ली, वह भी फूलों से सजाया गया था. इसके अलावा राष्ट्रपति भवन को चारों तरफ से तिरंगे के रंग में रोशन किया गया था.

इंटरनेट पर भी मोदी सरकार 2.0 छाया रहा – नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की खबरें, वीडियो और तस्वीरें इंटरनेट पर करीब 6.31 करोड़ बार खोजी गईं. जबकि, ओबामा के शपथ समारोह को 2.10 करो़ड़ लोगों ने लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग के जरिए देखा. वहीं, इंटरनेट पर 136 करोड़ पेज व्यूज मिले थे.

चंदे से होता है अमेरिकी शपथ ग्रहण समारोह – अमेरिका में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह की राशि सरकार नहीं देती. वहां, राष्ट्रपति के चयनित होते ही प्रेसिडेंशियल इनॉग्रल कमेटी सक्रिय हो जाती है. वह लोगों से चंदा जमा करती है. कमेटी ने 2009 के शपथ समारोह के लिए करीब 53 मिलियन डॉलर (370 करोड़ रु.) जमा किए थे. जबकि, पूरा आयोजन इससे ढाई गुना ज्यादा महंगा था. इसमें आधा दर्जन से ज्यादा कार्यक्रम होते हैं. बाकी पैसे का इंतजाम सरकार करती है. जबकि, 2014 में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की कुल लागत 17.60 लाख रुपए थी.