आपकी शिकायत पर बीमा कंपनी ध्यान न दे तो क्या किया जा सकता है …?

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नई दिल्ली ….
कुछ इंश्योरेंस कंपनियां ऑम्बड्समैन के फैसलों का पालन करने में ढिलाई बरतती हैं, प्रीति कुलकर्णी बता रही हैं कि ऐसी स्थिति में क्या किया जा सकता है। इंश्योरेंस कंपनियों के शिकायतों का समाधान न करने पर पॉलिसीहोल्डर्स को इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन से उम्मीद होती है। इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन का ऑर्डर इंश्योरेंस कंपनियों के लिए अनिवार्य होता है और इस वजह से उनके लिए इससे बचने की गुंजाइश बहुत कम होती है। आइए देखते हैं कि अगर इंश्योरेंस कंपनियां इसका पालन करने में नाकाम रहती हैं या इसमें देरी करती हैं तो क्या किया जा सकता है। वादा तोड़ना 
इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDA) के हाल के एक सर्कुलर में कहा गया है कि अप्रैल से दिसंबर 2018 के बीच बहुत सी इंश्योरेंस कंपनियों ने ऑम्बड्समैन का फैसला मिलने के 30 दिनों के अंदर उसे लागू नहीं किया और न ही उन्होंने 60 दिनों के अंदर अपील दाखिल की। इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDA का कहना है, ‘कुछ इंश्योरेंस कंपनियों ने बताया है कि उन्होंने समयसीमा बीतने के बाद फैसले का पालन किया है। समयसीमा का पालन न करने से शिकायत निपटाने की प्रक्रिया कमजोर होती है।’ IRDA ने देरी के कारण न बताने के लिए भी इंश्योरेंस कंपनियों को फटकार लगाई है। इसने चेतावनी भी जारी की है।
सुनवाई के दौरान किए गए वादे का पालन न करना न केवल इंश्योरेंस रेग्युलेटर और ऑम्बड्समैन, बल्कि पॉलिसीहोल्डर्स के लिए भी चिंता का एक कारण है। रेग्युलेटर अपनी समझ के अनुसार कार्रवाई करेगा, लेकिन पॉलिसीहोल्डर्स को ऑम्बड्समैन के फैसले को लागू करने में कमी की स्थिति में नियमों और अधिकारों को जानना चाहिए।
शिकायत का निपटारा
अगर आप उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से इस तरह की मुश्किल का सामना करना पड़ा है तो आपको अपना बकाया लेने के लिए कदम बढ़ाना होगा। मुंबई में इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन मिलिंद खरात ने बताया, ‘ऑम्बड्समैन का फैसला इंश्योरेंस कंपनियों के लिए अनिवार्य होता है। इसमें देरी हो सकती है, लेकिन उनके पास पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। IRDA और इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन कम्प्लायंस की निगरानी करते हैं और इंश्योरेंस कंपनियों से इस बारे में जानकारी लेते हैं।’
नियमों में बदलाव के बाद अब इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन ऑफिस 30 लाख रुपये तक का मुआवजा दे सकता है, पहले यह रकम 20 लाख रुपये की थी। ऑम्बड्समैन ऑफिस को पॉलिसीहोल्डर से दस्तावेज मिलने से तीन महीनों के अंदर फैसला देना होता है। इसके बाद फैसले की कॉपी शिकायतकर्ता और इंश्योरेंस कंपनी, दोनों को भेजी जाती है। इंश्योरेंस कंपनी को 30 दिनों के अंदर ऑर्डर का पालन करना और इसकी सूचना ऑम्बड्समैन को देनी होती है। फैसले को लागू करने में देरी की स्थिति में यह सुनिश्चित करें कि इंश्योरेंस कंपनी मुआवजे का भुगतान ब्याज के साथ करे। नियमों के तहत ब्याज मौजूदा बैंक रेट से दो पर्सेंट अधिक होगा।
अंतिम विकल्प
कंज्यूमर एक्टिविस्ट जहांगीर घई का कहना है, ‘नियम यही है कि इंश्योरेंस कंपनी ऑम्बड्समैन का फैसला लागू करने में लापरवाही नहीं कर सकती है। हालांकि अगर नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो पॉलिसीहोल्डर IRDA या ऑम्बड्समैन से संपर्क कर सकता है। हालांकि, मेरा मानना है कि कंज्यूमर कोर्ट में अपील करना एक अच्छा विकल्प है।’ 
शिकायत के निपटारे की प्रक्रिया

1. पहले तो आप संबंधित इंश्योरेंस कंपनी से ही शिकायत करें। इसके लिए आप कंपनी की वेबसाइट से जानकारी ले सकते हैं।
2. अगर इंश्योरेंस कंपनी से कोई जवाब नहीं मिलता या आप जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप IRDA के इंटीग्रेटेड ग्रिवांस मैनेजमेंट सिस्टम (igms.irda.gov.in) पर शिकायत कर सकते हैं।
3. आप इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन के उस ऑफिस से सीधे संपर्क कर सकते हैं जिसके अधिकार क्षेत्र में आपका मामला आता है।