गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी पर दिए गए बयान का विरोध

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नई दिल्ली –  गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी पर दिए गए बयान का विरोध तेज हो गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शाह पर तंज कसा कि हिंदी पर इस तरह जोर देना भाषा के नाम पर नई जंग शुरू करना है। उन्होंने इसे संघ का एजेंडा बताया। उधर, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी इसे हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने का संघ का एजेंडा बताया। शाह ने शनिवार को हिंदी दिवस के कार्यक्रम में एक राष्ट्र-एक भाषा के फॉर्मूला का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि देश की एक भाषा हो, जिसके कारण विदेशी भाषाओं को जगह न मिले। इसी को याद रखते हुए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने राजभाषा की कल्पना की थी और इसके लिए हिंदी को स्वीकार किया। विजयन ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा- पूरे देश में विरोध के बावजूद हिंदी के लिए गृह मंत्री अमित शाह का जोर देना यह दिखाता है कि संघ परिवार भाषा के नाम पर नई जंग शुरू कर रहा है।

यह धारणा गलत है कि केवल हिंदी ही पूरे राष्ट्र को एक कर सकती है। उत्तर-पूर्व और दक्षिण के लोग हिंदी नहीं बोलते हैं। येचुरी ने कहा- संघ का एजेंडा है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के तौर पर लागू किया जाए। संघ की विचारधारा एक देश, एक भाषा और एक संस्कृति की है, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे संविधान में सूचीबद्ध सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाए हैं। हिंदी संवाद की भाषा के तौर पर उभर सकती है, लेकिन इसे थोपे जाने की कोई भी कोशिश केवल नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को ही जन्म देगी और ऐसा पहले भी हो चुका है। सभी भाषाओं को बराबरी का दर्जा दिया जाना चाहिए।तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने शाह के बयान का विरोध करते हुए कहा था कि हम लगातार हिंदी को थोपे जाने का विरोध करते रहे हैं।

गृह मंत्री के आज के बयान ने हमें झटका दिया है, इससे देश की एकता पर असर पड़ेगा। वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया- हिंदी सभी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है। क्या आप कृपया इस देश की विभिन्नता और अलग-अलग मातृभाषाओं की सुंदरता की तारीफ कर सकते हैं? एमडीएमके चीफ वाइको ने कहा था कि भारत में अगर हिंदी थोपी गई, तो देश बंट जाएगा। हमारे पास केवल एक ‘हिंदी इंडिया’ होगा। उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने  कहा था कि हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का बराबर सम्मान करना चाहिए।